करवा चौथ व्रत 2021 |

8:10 PM Posted by: Manjuji ki advice 0 comments

 करवा चौथ   की तिथि और मुहूर्त-कार्तिक मास के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी तिथि इस बार 24 अक्‍टूबर पड़ रही है। इसलिए करवा चौथ व्रत इस वर्ष 24 अक्टूबर को है| चतुर्थी का आरंभ 24 अक्टूबर को सुबह 24 अक्‍टूबर को रविवार सुबह 3 बजकर 1 मिनट पर होगा और समापन 25 अक्टूबर की सुबह 5:43 बजे होगी।.इस साल करवा चौथ का पूजा मुहूर्त शाम 6:55 बजे से रात 8:51 बजे तक चलेगा..





करवा चौथ  व्रत-:भारत तीज त्यौहार व्रत उपवास का देश है |  ऐसा ही एक व्रत है करवा चौथ  |  भारतीय महिलाएं अपने बच्चों की खुशहाली,उनकी लम्बी आयु,अपने पति की लम्बी आयु आदि के लिए व्रत रखती हैं. |

                          

करवा चौथ व्रत हिन्दू धर्म की महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए रखती हैं.|16 वर्ष से अधिक 

आयु की कन्याएं भी अपने भावी पति की लम्बी आयु के लिए भी व्रत रखती हैं.|दिन भर उपवास 

रखकर रात में चन्द्रमा के दर्शन करके ही व्रत समाप्त करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.

                                        

करवा चौथ  व्रत  विधि-:इस दिन प्रातःकाल सुबह 4 बजे स्नान करते 

हैं फिर सास अपनी बहुओं को सेहरी देती हैं |सेहरी मैं सुबह का 

फलहारऔर सुहाग का पूरा सामान होता है |यह व्रत निर्जल और 

निराहार होता है  |दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा के दर्शन 

करके ही जल और व्रताहार ग्रहण करते हैं |रात मैं करवा चौथ माता 

की कथा कहते हैं, और कथा के पश्चात चलनी से चांद को देखते हैं,फिर

 चालनि से अपने पति का चेहरा देखने के बाद ही अन्न जल ग्रहण कर 

व्रत समाप्त करते हैं | 
                                     


करवा चौथ  व्रत सामग्री-
:
एक करवा,  करवा माता का मूर्ति या चित्र.

एक चलनी ,  माता के लिए सुहाग की सभी सामग्री. |






करवा चौथ  व्रत 
कथा या कहानी-:महिलाओं के अखंड सौभाग्य 

का प्रतीक करवा चौथ  व्रत कथा 

 कुछ इस प्रकार है- एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की 

थी। एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित 

उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ  व्रत कथा रखा। रात्रि 

के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी 

बहन से भी भोजन कर लेने को कहा। इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी 

चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही मैं आज 

भोजन करूंगी।साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें 

अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुख हुआ। साहूकार के 

बेटे नगर के बाहर चले गए और वहां एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी। 

घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल 

आया है। अब तुम उन्हें अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करो। साहूकार की बेटी ने 

अपनी भाभियों से कहा- 


देखो, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्घ्य देकर भोजन कर लो। ननद 

की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे 

भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे 

हैं।साहूकार की बेटी अपनी भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों 

द्वारा दिखाए गए चांद को अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार करवा 

चौथ का व्रत भंग करने के कारण विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की 

लड़की पर अप्रसन्न हो गए। गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की 

का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में 

लग गया। साहूकार की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो 

उसे बहुत पश्चाताप हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से 

विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया। उसने उपस्थित सभी 

लोगों का श्रद्धानुसार आदर किया और तदुपरांत उनसे आशीर्वाद ग्रहण 

किया।

इस प्रकार उस लड़की के श्रद्धा-भक्ति को देखकर एकदंत भगवान गणेश 

जी उसपर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान प्रदान किया। उसे 

सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करके धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर 

दिया।कहते हैं इस प्रकार यदि कोई मनुष्य छल-कपट, अहंकार, लोभ, 

लालच को त्याग कर श्रद्धा और भक्तिभाव पूर्वक चतुर्थी का व्रत को पूर्ण 

करता है, तो वह जीवन में सभी प्रकार के दुखों और क्लेशों से मुक्त होता है 

और सुखमय जीवन व्यतीत करता है। 






               करवा चौथ माता की जय























 


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